राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय .... पूजा
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता ...
पूजा
पूजा पाठ नियम से करना
ईश्वर में भी श्रद्धा रखना ।
यही धर्म है यही कर्म है
ईश्वर को न कभी भूलना ।
श्री गणेश जी दुखहर्ता है
प्रथम पूज्य गणेश देवा है ।
माता जिनकी पार्वती
पिता महादेवा है।
गणेश पूजा प्रथम करो
मन वांछित फल पाओ ।
गणेश जी की महिमा से
सब कष्टों से मुक्ति पाओ ।
एक दंत दयावंती
चार भुजाधारी ।
माथे सिंदूर सोहे
मूसा की सवारी ।
माता पार्वती के नंदन है
जय गणपति जग वंदन है ।
जय गणपति बप्पा सबके है
करते हम सब अभिनंदन हैं ।
माता ने अपनी सुरक्षा में
पुत्र गणेश को जन्म दिया ।
शिव शंकर भोले बाबा को
इसका भी न आभास हुआ ।
माता की आज्ञा पालन में
देवताओं से युद्ध किया ।
सारा सच है महादेव को भी
दरवाजे पर ही रोक दिया ।
मां की आज्ञा पालन करने में
महादेव से घमासान युद्ध हुआ ।
पिता पुत्र के बीच ,इस युद्ध में
पुत्र गणेश का ही बलिदान हुआ ।
दृश्य देख मां पार्वती का
क्रोध से मन थर थर थर्राया ।
पुत्र को जीवित करने का
सारा सच संकल्प दोहराया ।
आनन फानन में महादेव ने
गजराज का सिर मंगवाया ।
पुत्र गणेश के सिर पर ही
गजराज के सिर को लगवाया ।
जीवित हुए गणपति नंदन
सारा सच नाम गजानन पाए ।
पिता पुत्र मां पार्वती के
खुशियों से हैं मन हर्षाए ।
स्वर्ग लोक के सारे देवता
जब भी कष्ट में होते हैं ।
राक्षस जब भी स्वर्गलोक में
अपना आधिपत्य जमाते हैं ।
श्रीगणेश जी राक्षसों का
वध करके मार गिराते हैं ।
देवताओं की रक्षा करके
अपना दायित्व निभाते हैं ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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