Tuesday, 28 February 2023

आंदोलन आजादी - अनन्तराम चौबे अनन्त

 
















राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु

विषय... आंदोलन/आजादी
नाम..अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...

आंदोलन / आजादी 

अंग्रेजी की क्रूरता की 
जलियांवाला बाग निशानी है।
निहत्थे देश वासियों पर हुई
क्रूरता, बर्बरता की कहानी है ।

भारत को गुलामी की जंजीरों से 
आजादी पाने इंकलाब के नारे गूंजे थे
13 अप्रैल 1919 के दिन ही 
अंग्रेजी ने क्रूरता का कार्य किए थे ।

क्रूर ब्रिगेडियर जनरल डायर ने
जलियांवाला बाग गोलियां चलवाई थी
निहत्थी और मासूम जनता और
महिला बच्चों पर गोलियां चलाई थी

रौलेट एक्ट के विरोध की सभा में
कई हजारों लोग इकट्ठे हुए थे ।
उसी सभा में ब्रिगेडियर डायर ने
महासभा में गोलियां चलाए थे ।

अंधाधुंध चली गोलियों से
कई सैकड़ों लोग मारे गए थे ।
हजारों लोग इस फायरिंग से
उस घटना में घायल भी हुए थे ।

भारत के क्रांतिकारियों के इस
आंदोलन को कुचलना चाहा था ।
गोलियां चलाकर अंग्रेजी सरकार ने
शर्मनाक काला अध्याय लिखा था।

आंदोलन और हड़ताल करना
संविधान से सभी को मिला है।
मजदूर हो या सरकारी कर्मचारी
सबको को ये अधिकार मिला है।

सरकार के कार्य से संतुष्ट नहीं है
सरकार बात जब नहीं सुनती है ।
ऐसी किसी की जब मजबूरी हो
आंदोलन  की मजबूरी होती है ।

आंदोलन और हड़ताल करो
धरना दो प्रदर्शन भी करो ।
सारा सच अनुशासन में रहकर 
ही शांति पूर्ण सब ढंग से करो ।

आंदोलन हड़ताल में कभी
राजनीति कभी न करना ।
दलाल और बिचोलियों को
कभी बीच में नही लाना ।

आवागमन कभी बंद करना
जनता को परेशान न करना
बस रेलों को कभी न रोकना
शांति पूर्ण आंदोलन करना ।

जिसके विरूद्ध हड़ताल करो
शांति पूर्ण वार्ता भी करना ।
वार्ता करने से बात बन जाए
सारा सच क्यों आंदोलन करना ।

सम्पत्ति का नुक्सान जो करता
आंदोलन कारी वो नही होता ।
असमाजिक तत्व काम ये करते
उल्लू सीधा अपना वो करते ।

आपस की वार्ता करने से
बड़े काम सभी हो जाते हैं ।
सारा सच है आंदोलन की
नोबत ही क्यों आने देते हैं ।

अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र

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