डोली चढके तों लाते हैं दूलहन सभी हंस के हर कोई फांसी चढ़ेगा नहीं
तू ना रोना की तू है भगतसिंह की मां भरके भी तेरा लाल मरेगा नहीं
ऐसे थे अपने आजादी के परवाने
एक इस्ट इंडिया कम्पनी आयीथी हमारे देश में ब्यापार के परपच से लेकीन धीरे धीरे अपने गंदी नितीयो से पूरे देश को गूलाम बना लियेऔर अत्याचार करने लगे इनके अन्याय के खिलाफ जगह जगह। आंदोलन होने लगा
हमारे देश में दो दल हो गया
एक नरम दल
और दूसरा गर्म
ये दोनों दल अपने ढंग से आंदोलन करके आजादी केलिये अंग्रेजी हूकूमत को नाकों चने चबवा दियेभगत सिंह और अपने देश के फीर जवानों को गिरफ्तार करके कैद कर लेते थे
और नाना प्रकार की यातनायें देकर अपनी बात मनवाते न मानने पर फांसी चढ़ा देते इस आजादी के लिएअपने देश में जगह जगह आंदोलन होनेलगे
उनका दमन करने के लिये वो गिरफ्तार करके कैद कर लेते औरअपने शर्तों पर रिहा करने की बात करते लेकीन हमारे देश के फीर सपूत हंस के फांसी को चूम लेते लेकीन रिहाई कबूल नहीं करते
कितने जद्दोजहद के बाद हमें ये आज़ादी मिली
और हमें अंग्रेजी हूकूमत की कैद से रिहाई
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाजूए कातील में है जैसे नारों से आकाश गूंजायमान होने लगा था जिसकी गरज से अंग्रेजी शासन की नींव हिल गयी और वो हमारे देश को अपने कैद से आजाद करके चले गये जय बीर सहीद जय भारत
हेमलता ओझा
उत्तर प्रदेश
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