Wednesday, 22 February 2023

परिवार - दिलीप कुमार शर्मा



 परिवार ....

परिवार वह स्थान है, वह सामाजिक संस्थान है जहां व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है l एक वटवृक्ष से  बड़े परिवार में जहां एक बालक को अपने बड़ों से स्नेह प्राप्त होता है वहीं पर बड़ों के अनुभव के मार्गदर्शन में वह जीवन जीने की कला भी सीखता है l सारा सच है कि एक बड़ा परिवार एक संस्थान की तरह काम करता है l जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के कार्य का बंटवारा, उचित मार्गदर्शन, बड़े बड़ों का अनुभव का लाभ प्राप्त होता है । सबके सम्मान का ध्यान रखा जाता है वहीं पर एक बड़े परिवार में सामंजस्य, सहयोग, एकता की भावना, अनुशासन, आपसे प्रेम मेल मिलाप आदि।       
गुणों का भी विकास होता है।
लेकिन वर्तमान में यह सामाजिक संस्थान अपने व्यक्तिगत स्वार्थ एवं लाभ के चलते एवं अधिक आनंद प्राप्त करना एवं व्यक्ति का व्यक्तिवाद की तरफ बढ़ने के साथ ही भौतिकवाद के कारण यह संस्था बिखरती आ रही है
  
आज व्यक्ति इतना एकाकी हो गया है कि उसे अपने काम एवं स्वार्थ के अलावा कुछ नजर नहीं आता। जिसका दुष्परिणाम बुजुर्गों के साथ होने वाला व्यवहार है। सारा सच है कि एक व्यक्ति जिसने
इतने बड़े परिवार का लालन पालन किया, उसे खड़ा किया उसे आज वृद्धावस्था में वृद्ध आश्रम  में छोड़ दिया जाता है। जिसका दुष्परिणाम यह निकलता है कि छोटे बच्चों को उचित मार्गदर्शन लाड, प्यार नहीं मिल पाता।
परिवार दिवस पर हम यह सोचे कि हमें एक परिवार में सब की इच्छाओं का ध्यान रखना पड़ेगा। मुखिया को मुख्  समान होना पड़ेगा । व्यक्तिगत स्वार्थ एवं लालच को छोड़ सामूहिक भावना को ध्यान रखना पड़ेगा।
सबका साथ सबका विकास
के साथ जहां पर सब के हितों का ध्यान रखा जाता है वह परिवार कभी भी बिखरता नहीं है । प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे की भावना का ध्यान रखना चाहिए ।
इस तरह प्राचीन सामाजिक संस्था को बिखरने से रोक सकते हैं । बड़े परिवार का एक लाभ यह है कि यहां पर व्यक्ति का दुख बढ़ जाता है।
वह अपने आप को असहाय महसूस नहीं करता है।
एक रहे मिल कर रहे। परिवार को टूटने से बचाएं।

दिलीप कुमार शर्मा।
MP 

No comments:

Post a Comment