हमारा हिन्दुस्तान
प्रकृति की अनुपमा से सजा एक ऐसा जहान है।
जहाँ तृण-तृण वन शस्य और खेत खलिहान है।
राम- सीता कृष्ण की धरती, जन्म लेते जहाँ भगवान है।
बुद्ध, नानक, कबीर की वाणी से गुंफित देश ये महान है।
वह प्यारा, सब देशों से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तान हैं।
जिसका हिम तुषार शुभ्र- मुकुट हिमालय जिसकी शान है।
पग पखारे सागर जल-थल, विविध नदियों से पहचान है।
देशभक्तों के गौरव से देश को अभिमान है।
गुलामी की जंजीर को तोड़, इसकी ऐतिहासिक दास्तान है।
वह प्यारा, सब देशों से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तान हैं।
विविध सभ्यता- संस्कृति, अनेकता में एकता से सम्मान है।
होली, दीपावली, ईद की खुशियाँ दशहरा कभी रमजान है।
मंदिर में बजती है घंटी, मस्जिद में अजान है।
कहीं अरदास, कहीं कीर्तन, कहीं ईष- विनय कर आह्वान है।
वह प्यारा, सब देशों से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तान हैं।
वेद, सदुपदेश-पीयुष, गीता- गरिमा का जहाँ ज्ञान है।
आदर्श और विज्ञान के समागम का जो प्रमाण है।
साम्प्रदायिक- सद्भावपूर्ण, प्रजातांत्रिक एक ऐसा जहान है।
भाईचारा, प्रेम से निर्मित हर चेहरे पर मुस्कान है।
वह प्यारा, सब देशों से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तान हैं।
अपनी कर्मठता के बल पर पाया इसने सम्मान है।
अन्नपूर्णा जहाँ किसान शिरोमणि, सीमा का रक्षक जवान है।
वीरों की गाथा से देश का बच्चा- बच्चा कुर्बान है।
इसकी अविस्मरणीय कीर्तिमान का हर लोक में गुणगाण है।
वह प्यारा, सब देशों से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तान हैं।
हिन्दी जण- गण की भाषा, तिरंगा इसकी शान है।
अहिंसा इसकी परिभाषा, मानवता हीं अरमान हैं।
सभ्यता- संस्कृति से सुसज्जित अद्वितीय राष्ट्र- गाण है।
मातृ-पितृ धर्म सतकर्म, देश को अर्पित अतुलनीय राष्ट्र निशान हैं।
वह प्यारा, सब देशों से न्यारा, हमारा हिन्दुस्तान हैं।
अहिंसा इसकी रणनीति, एकता ही इसकी जान है।
“वसुधैव- कुटुम्बकम” से खचित इतिहास में पहचान है।
परमाणु- बिस्फोट से जब -जब गूँजा ये जमीं- आसमान है।
तब-तब शान्ति दूत बन शान्ति से बचाया ये जहान है।
स्व-रचित रचना :
अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना, बिहार
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