राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय ...जाति धर्म
नाम..अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...
जाति /धर्म
जाति धर्म साथ में लेकर
नेता चुनाव हमेशा लड़ते हैं।
अपना स्वार्थ सिद्ध करने
अपना उल्लू सीधा करते हैं ।
चुनाव लड़ने में नेता का
कुछ माप दंड जरूरी है ।
शिक्षा, साफ सुधरी छवि
नेता की होना जरूरी है ।
सांसद या विधायक हो
जनता ही इनको चुनती है ।
चुनाव जीतने के बाद में
फिर मनमानी इनकी होती है ।
राजनैतिक पार्टियां हमेशा
अपना उल्लू सीधा करती हैं ।
सत्ता की कुर्सी पाने चुनाव में
जाति धर्म के हथकंडे अपनाती है ।
देश में चुनाव में सभी पार्टियां
सत्ता की कुर्सी पाने लड़ती हैं ।
सारा सच है पूरा जोर लगाकर
चुनाव प्रचार पर जोर देती हैं ।
नेता चुनाव में भले लड़ते हैं
हार जीत भी होती रहती है ।
छींटा कसी आपस में करते
नेताओं की मजबूरी होती है ।
सत्ता में जो भी पार्टी आती है
अपने हिसाब से कानून बनाते हैं ।
सारा सच है नेता बनने में इनको
शिक्षा के मापदंड क्यों नहीं होते हैं ।
अनपढ़ भी सांसद, विधायक हैं
मंत्री में शिक्षा का मापदंड नही है ।
शिक्षा से कोई अवरोध न आए
ऐसा कानून भी बनाते ही नही हैं ।
किसी प्रदेश का चुनाव हो देश में
राजनीति सब आपस में करते हैं ।
हाथ जोड़ कर बोट मांगते हैं
जाति धर्म की राजनीति करते हैं।
सांसद विधायक मंत्री बनने में
बी ए की शिक्षा होना जरूरी है ।
सारा सच ये बात कहूं चुनाव में
उच्च शिक्षा का मापदंड जरूरी है ।
जाति से गरीब ही गरीब बताते
जाति से आरक्षण भी देते है ।
कौन गरीब है कौन अमीर है
जाति से ही आंकलन करते हैं ।
खानदानी राजनीति चलती है
पिता के बाद पुत्र नेता बनते है ।
कोई कोई तो पति-पत्नी पुत्र बहू
पूरा परिवार चुनाव में खड़े होते हैं।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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