Tuesday, 28 February 2023

कैद और रिहाई - रशीद अकेला

 
























  *कैद और रिहाई*
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कैदी हैं इस ज़िन्दगी के और मौत रिहाई है।
  ऐ बनाने वाले क्या खूब दुनियां बनाई है।।
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जिसने कि इस मुख़्तसर ज़िन्दगी से मुहब्बत
   बेशक़ उसने अपनी आख़िरत गवांई है।।
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ये दुनियां बस एक धोखा है और कुछ नहीं 
   बात ये सबको कहाँ समझ में आई है।।
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मौत का मज़ा सबको है चखना एक दिन 
    जहां कि यही एकमात्र सच्चाई है।।
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    इस जहां की रंगिनियों मे मत भटको
हुआ है नाकाम वो जब इम्तेहान की घड़ी आई है।।
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     एख़लाक़ सबसे बेहतर रखो अपने
ख़ुदा ने ज़न्नत की पहली सीढ़ी इसे ही बताई है।।
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क्यों एक दूसरे से जलन, हसद, नफ़रत
मिटा दो मन के अंदर जितनी भी बुराई है।।
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और मत करो किसी पर भी ज़ुल्म इतना 
मज़लूमों का भी है ख़ुदा उनकी भी खुदाई है।।
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*सारा सच* सिर्फ इकरार करने से कुछ नहीं होता
    जब तक नसीहतें अमल में ना लाई है।।
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मिलेगी वैसी ही ज़ज़ा और सज़ा *रशीद*
जहां में जैसी नामे अमल दर्ज़ कराई है।।
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आग नहीं चराग़ बनकर करो जहां को रौशन
इससे बेहतर जहां में ना कोई रहनुमाई है।।
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                    ©®रशीद अकेला!
झारखण्ड 

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