*कैद और रिहाई*
*******************
कैदी हैं इस ज़िन्दगी के और मौत रिहाई है।
ऐ बनाने वाले क्या खूब दुनियां बनाई है।।
========================
जिसने कि इस मुख़्तसर ज़िन्दगी से मुहब्बत
बेशक़ उसने अपनी आख़िरत गवांई है।।
========================
ये दुनियां बस एक धोखा है और कुछ नहीं
बात ये सबको कहाँ समझ में आई है।।
========================
मौत का मज़ा सबको है चखना एक दिन
जहां कि यही एकमात्र सच्चाई है।।
========================
इस जहां की रंगिनियों मे मत भटको
हुआ है नाकाम वो जब इम्तेहान की घड़ी आई है।।
========================
एख़लाक़ सबसे बेहतर रखो अपने
ख़ुदा ने ज़न्नत की पहली सीढ़ी इसे ही बताई है।।
========================
क्यों एक दूसरे से जलन, हसद, नफ़रत
मिटा दो मन के अंदर जितनी भी बुराई है।।
========================
और मत करो किसी पर भी ज़ुल्म इतना
मज़लूमों का भी है ख़ुदा उनकी भी खुदाई है।।
========================
*सारा सच* सिर्फ इकरार करने से कुछ नहीं होता
जब तक नसीहतें अमल में ना लाई है।।
========================
मिलेगी वैसी ही ज़ज़ा और सज़ा *रशीद*
जहां में जैसी नामे अमल दर्ज़ कराई है।।
========================
आग नहीं चराग़ बनकर करो जहां को रौशन
इससे बेहतर जहां में ना कोई रहनुमाई है।।
========================
©®रशीद अकेला!
झारखण्ड
No comments:
Post a Comment