अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता"हमारी वाणी"
प्रतियोगिता का विषय--बालिका दिवस
विधा---कविता
बालिकाएं (बालिका-दिवस)
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मेरे देश की बालिकाएं,बहुत आगे बढ़ गई है।
हिमालय की चोटी देखी,चन्द्रमा पे चढ़ गई है।।
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हर क्षेत्र में आगे आई,देखो हुई पदासीन है।
कोई कोना नहीं अछूता,दुनिया की नामचीन है।।
वेद कुरान बाइबल गीता,सार साहित्य पढ़ गई है।।
मेरे -- - - - - - - - - - - - - - - - - ।।
सीमा पे खड़ी बन प्रहरी,क्या रौब वीरवरा का है।
राष्ट्र हित मरने को तत्पर,पानी हिन्द धरा का है।।
खून रगों में झांसी का,बंदूक उठा पकड़ गई है।।
मेरे- - - - - - - - - - - - - - - - - - ।।
शिक्षिका और वेद सिपाही,वैज्ञानिक बनी नारी।
सीने जगत की अभिनेत्री तो,सत्ता में भागीदारी।।
साहित्यकार चर्चित बनी ,मन के भाव मड गई है।।
मेरे - - - - - - - - - - - - - - - - - -।।
अबला नहीं अब सबला है,प्रतिभाशाली बाला है।
वक्त पे कोमल कलिका,वक्त देख के ज्वाला है।।
बेटी ना बेटों से पीछे,नई सोच मन गढ़ गई है।।
मेरे - - - - - - - - - - - - - - - - - -।।
डॉ.जबरा राम कंडारा
जालोर।राजस्थान।
Dr.Jabra Ram Kandara
Jalore,Rajasthan.
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