Tuesday, 28 February 2023

आजादी में नहीं करें हम - गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद











 सारा सच मीडिया

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य साप्ताहिक प्रतियोगिता
                    (हमारीवाणी)
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विषय - आजादी
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शीर्षक - आजादी में नहीं करें हम
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आजादी में नहीं करें हम, औरों का अपमान।
नहीं छीने औरों की आजादी, औरों का सम्मान।।
आजादी में नहीं करें हम ---------------------।।

जो बने हैं बाल मजदूर, उनको हम आजाद करें।
बनकर पंछी जो हैं कैद ,उनमें हम परवाज भरें।।
आजादी में होकर जुल्मी, नहीं ले औरों की जान।
नहीं छीने औरों की आजादी, औरों के सम्मान।।
आजादी में नहीं करें हम ----------------------।।

अब तो रखों नहीं पर्दे में, कैद करके नारी को।
अधिकार,सम्मान और शिक्षा अब दो नारी को।।
आजादी में होकर बेखौफ, नहीं भूले हम ईमान।
नहीं छीने औरों की आजादी, औरों का सम्मान।।
आजादी में नहीं करें हम-------------------।।

आजाद हुआ है देश हमारा, वीरों की कुर्बानी से।
जीना सीखे हम भी जीवन, शहीदों की कहानी से।।
आजादी में नहीं भूले , देश के हम पर अहसान।
नहीं छीने औरों की आजादी, औरों का सम्मान।।
आजादी में नहीं करें हम-------------------।।


शिक्षक एवं साहित्यकार- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

कैद एक चार दिवारी - दिलीप कुमार शर्मा दीप

 


कैद ..
कैद एक चार दिवारी,
एक ऐसा स्थान,
जहां संवैधानिक कानून तोड़ने वालों को
संविधान विरुद्ध काम करने वालों को l
सजा के तौर पर एक निश्चित अवधि के लिएरोका जाता हैl 
सुधरने का और प्रायश्चित का एक अवसर दिया जाता है l
स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए  प्रशिक्षण दिया जाता है l
अच्छा इंसान बनने के लिए मानवीय गुणों को सिखाया जाता है।
कैद एक शिक्षा देती हैं,
संवैधानिक नियमों पर चलने की।
दूसरों के अधिकारों को पालने एवं स्व के कर्तव्य की।
इस प्रकार के एक जेल का नहीं बल्कि सुधार ग्रह है।
जहां से व्यक्ति मानवीय गुण धारण करके आता है,
और अपने पुराने कर्मों को भूलकर समाज का अंग बन जाता है।

दिलीप कुमार शर्मा दीप
MP 

आजादी - डॉ.जबरा राम कंडारा

 


आजादी

बड़ी मुश्किल से पाई आजादी,
बहुत पापड़ बेले है।
कई यातनाएं भुगत चुके हम,
कष्ट अनेकों झेले है।

ओरों से गैरों अपनों से भी,
लगातार परेशान रहे।
अमानवीय अत्याचार हुए ,
अन्याय अपमान सहे।।

पशु से बदतर जीवन जीते,
बेमन झुकता शीश रहा।
उनका हुक्म था सर्वोपरि,
सामंती जगदीश रहा।।

तन मन का शोषण होता रहा,
धन उनके वशीभूत था।
ओरों के लिए देव तुल्य लेकिन,
हमरे लिए यमदूत था।।

गौरों से कई मिले हुए थे,
जो शासन करते थे।
लोगों का शोषण खूब किया,
उनको कर भरते थे।।

मिली आजादी खुश सभी है,
सबके  लिए  संविधान है।
सबने सम अधिकार पा लिए,
अब मानव मात्र समान है।।

हर कोई  राष्ट्र गान  गाता,
हर कोई पढ़ सकता है।
अपनी काबिलियत से कोई,
आगे चाहे बढ़ सकता है।।

कानून सबके लिए एक सा,
चाहे अमीर-गरीब हो।
छोटा-बड़ा नही कहलाता,
चाहे सत्ता के करीब हो।।

गुनाह कोई भी करता है,
होता गुनाहगार वही।
बच निकले गुंजाइश नही,
कानून का वो यार नही।।

जहाँ चाहे वहाँ रह सकते,
मनमर्जी से काम करे।
शादी करे पर्व मनाइए,
 कुछ कर रोशन नाम करे।।

- डॉ.जबरा राम कंडारा
   रानीवाड़ा।जिला-जालोर।राजस्थान।

आंदोलन आजादी - अनन्तराम चौबे अनन्त

 
















राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु

विषय... आंदोलन/आजादी
नाम..अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...

आंदोलन / आजादी 

अंग्रेजी की क्रूरता की 
जलियांवाला बाग निशानी है।
निहत्थे देश वासियों पर हुई
क्रूरता, बर्बरता की कहानी है ।

भारत को गुलामी की जंजीरों से 
आजादी पाने इंकलाब के नारे गूंजे थे
13 अप्रैल 1919 के दिन ही 
अंग्रेजी ने क्रूरता का कार्य किए थे ।

क्रूर ब्रिगेडियर जनरल डायर ने
जलियांवाला बाग गोलियां चलवाई थी
निहत्थी और मासूम जनता और
महिला बच्चों पर गोलियां चलाई थी

रौलेट एक्ट के विरोध की सभा में
कई हजारों लोग इकट्ठे हुए थे ।
उसी सभा में ब्रिगेडियर डायर ने
महासभा में गोलियां चलाए थे ।

अंधाधुंध चली गोलियों से
कई सैकड़ों लोग मारे गए थे ।
हजारों लोग इस फायरिंग से
उस घटना में घायल भी हुए थे ।

भारत के क्रांतिकारियों के इस
आंदोलन को कुचलना चाहा था ।
गोलियां चलाकर अंग्रेजी सरकार ने
शर्मनाक काला अध्याय लिखा था।

आंदोलन और हड़ताल करना
संविधान से सभी को मिला है।
मजदूर हो या सरकारी कर्मचारी
सबको को ये अधिकार मिला है।

सरकार के कार्य से संतुष्ट नहीं है
सरकार बात जब नहीं सुनती है ।
ऐसी किसी की जब मजबूरी हो
आंदोलन  की मजबूरी होती है ।

आंदोलन और हड़ताल करो
धरना दो प्रदर्शन भी करो ।
सारा सच अनुशासन में रहकर 
ही शांति पूर्ण सब ढंग से करो ।

आंदोलन हड़ताल में कभी
राजनीति कभी न करना ।
दलाल और बिचोलियों को
कभी बीच में नही लाना ।

आवागमन कभी बंद करना
जनता को परेशान न करना
बस रेलों को कभी न रोकना
शांति पूर्ण आंदोलन करना ।

जिसके विरूद्ध हड़ताल करो
शांति पूर्ण वार्ता भी करना ।
वार्ता करने से बात बन जाए
सारा सच क्यों आंदोलन करना ।

सम्पत्ति का नुक्सान जो करता
आंदोलन कारी वो नही होता ।
असमाजिक तत्व काम ये करते
उल्लू सीधा अपना वो करते ।

आपस की वार्ता करने से
बड़े काम सभी हो जाते हैं ।
सारा सच है आंदोलन की
नोबत ही क्यों आने देते हैं ।

अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र

पदमा तिवारी दमोह - आजादी

 





विषय आजादी

आए दिन आजादी के
खुशी खुशी हम ध्वज फहराये।
हुए प्रफुल्लित हम सभी
राष्ट्रगान सब मिलकर गाए।।

हर भारतवासी ने
आजादी का जश्न मनाया।
वीर शहीदों की कुर्बानी से
आज यह दिन हमने पाया।।

वर्ण भेद की जगह नहीं
हम सभी है भाई भाई।
अखंड भारत देश हमारा
भारत मां है हमारी माई।।

भूल रहे हम कुर्बानी
आ रही नफरतों की आंधी।
बरसों बीत गई आजादी के
भुला रहे हैं हम गांधी।।

ईश्वर अल्लाह सभी एक है
एक दूजे का सम्मान करो।
धर्मनिरपेक्ष है देश हमारा
झगड़ों में न समय बर्बाद करो।।

सौभाग्यशाली है हम
जन्म लिया इस धरती पर।
जहां जन्में राम कृष्ण हैं
गर्व हमें इस धरा पर।।

लहू बहा है इस धरती पर
बहती जहां गंगा की धारा।
वरसे वैसे प्रेम अमृत सा
कितना प्यारा देश हमारा।।

अनेकों वीरांगनाओं ने भी
आजादी को बलिदान दिया।
 छोड़कर अपना घर द्वार
लहू अपना बहा दिया।।

सारा सच यही है कि
बुराई छोड़ अमन चैन से रहे
याद रखो हम भारतवासी हैं
रहे शांति से और रहने दें।।

@पदमा  तिवारी दमोह मध्य प्रदेश

डोली चढके तों लाते हैं दूलहन - हेमलता ओझा

 


डोली चढके तों लाते हैं दूलहन सभी हंस के हर कोई फांसी चढ़ेगा नहीं
तू ना रोना की तू है भगतसिंह की मां भरके भी तेरा लाल मरेगा नहीं
ऐसे थे अपने आजादी के परवाने
एक इस्ट इंडिया कम्पनी आयीथी हमारे देश में ब्यापार के परपच से लेकीन धीरे धीरे अपने  गंदी नितीयो से पूरे देश को गूलाम  बना लियेऔर अत्याचार करने लगे इनके अन्याय के खिलाफ जगह जगह। आंदोलन होने लगा
हमारे देश में दो दल हो गया 
एक नरम दल
और दूसरा गर्म
ये दोनों दल अपने ढंग से आंदोलन करके आजादी केलिये अंग्रेजी हूकूमत को नाकों चने चबवा दियेभगत सिंह  और अपने देश के फीर जवानों को गिरफ्तार करके कैद कर लेते थे
और नाना प्रकार की यातनायें देकर अपनी बात मनवाते न मानने पर फांसी चढ़ा देते इस आजादी के लिएअपने देश में जगह जगह आंदोलन होनेलगे
उनका दमन करने के लिये वो गिरफ्तार करके कैद कर लेते और‌अपने शर्तों पर रिहा करने की बात करते लेकीन हमारे देश के फीर सपूत हंस के फांसी को चूम लेते लेकीन रिहाई कबूल नहीं करते
कितने जद्दोजहद  के बाद हमें ये आज़ादी मिली 
और हमें अंग्रेजी हूकूमत की कैद से रिहाई
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाजूए कातील में है जैसे नारों से आकाश गूंजायमान होने लगा था जिसकी गरज से अंग्रेजी शासन की नींव हिल गयी और वो हमारे देश  को अपने कैद से आजाद करके चले गये जय बीर सहीद जय भारत

हेमलता ओझा 
उत्तर प्रदेश 

आंदोलन - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'

 


*आंदोलन*

आंदोलन शोषण और अन्याय के खिलाफ किया जाता है
आंदोलन कर समस्या को सबकी नजरों में लाया जाता है

आंदोलन व्यक्तिगत नहीं, सामुहिक होता है
आंदोलन का उद्देश्य व्यवस्था में
बदलाव लाना होता है

समस्या सामाजिक हो, आर्थिक हो अथवा हो पर्यावरणीय
आंदोलन के जरिये विशेषज्ञों के लिए विषय हो जाता विचारणीय

आंदोलन रूपांतरणकारी, सुधारवादी, क्रांतिकारी या लोकप्रिय होते हैं
आंदोलन न्याय दिलाते हैं, सच्चाई सामने लाते हैं


सत्य, अहिंसा के पुजारी 
 'बापू' देश को स्वतंत्र कराने के लिए कई आंदोलन किये 
इन आंदोलनों ने अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर किए

 दांडी यात्रा किये, खुद नमक बनाये
उनका साथ देने को हजारों
लोग सामने आये

 किसानों ने किया आंदोलन अंग्रेज सरकार की कर वसूली के विरोध में, जगह था गुजरात जिले का खेड़ा
आंदोलन के आगे अंग्रेजों को 
झुकना पड़ा

पेड़ों को बचाने के लिए चिपको 
आंदोलन किया गया
सुंदर लाल बहुगुणा जी ने इसका नेतृत्व किया

पेड़ों को बचाने को महिलाएं
पेड़ से चिपक जाती थीं
तभी वे जंगलों की अंधाधुंध
कटाई रोक पाती थीं

आंदोलन करो,  मगर किसी को हानि मत पहुँचाओ
समाज का उत्थान करो, गरीबों को उनका हक दिलवाओ

स्व अनुशासन का ध्यान रखो, 
सरकारी सम्पत्ति को हानि नहीं पहुँचाओ
कुछ औरों की सुनो, कुछ अपनी सुनाओ

डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
स्वरचित
वेस्ट बंगाल 

कैद और रिहाई - रशीद अकेला

 
























  *कैद और रिहाई*
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कैदी हैं इस ज़िन्दगी के और मौत रिहाई है।
  ऐ बनाने वाले क्या खूब दुनियां बनाई है।।
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जिसने कि इस मुख़्तसर ज़िन्दगी से मुहब्बत
   बेशक़ उसने अपनी आख़िरत गवांई है।।
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ये दुनियां बस एक धोखा है और कुछ नहीं 
   बात ये सबको कहाँ समझ में आई है।।
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मौत का मज़ा सबको है चखना एक दिन 
    जहां कि यही एकमात्र सच्चाई है।।
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    इस जहां की रंगिनियों मे मत भटको
हुआ है नाकाम वो जब इम्तेहान की घड़ी आई है।।
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     एख़लाक़ सबसे बेहतर रखो अपने
ख़ुदा ने ज़न्नत की पहली सीढ़ी इसे ही बताई है।।
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क्यों एक दूसरे से जलन, हसद, नफ़रत
मिटा दो मन के अंदर जितनी भी बुराई है।।
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और मत करो किसी पर भी ज़ुल्म इतना 
मज़लूमों का भी है ख़ुदा उनकी भी खुदाई है।।
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*सारा सच* सिर्फ इकरार करने से कुछ नहीं होता
    जब तक नसीहतें अमल में ना लाई है।।
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मिलेगी वैसी ही ज़ज़ा और सज़ा *रशीद*
जहां में जैसी नामे अमल दर्ज़ कराई है।।
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आग नहीं चराग़ बनकर करो जहां को रौशन
इससे बेहतर जहां में ना कोई रहनुमाई है।।
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                    ©®रशीद अकेला!
झारखण्ड 

आज़ादी की लड़ाई - प्रा.गायकवाड विलास

 


















प्रा.गायकवाड विलास लातूर महाराष्ट्र 


*सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
**विषय:आजादी*

**आज़ादी की लड़ाई*
    ******* ** ******
     (विधा: छंदमुक्त)

लहू की बहती नदियां हमें याद नहीं आती,
शहिदों के बलिदानों की कुर्बानी हमें याद नहीं आती।
आजादी जिसने भी दिलवाई हमें यहां पर,
उनकी उजड़ी हुई दुनिया हमें याद नहीं आती।

कोई लटक गये यहां फांसी के फंदों पर,
कितने हो गए यहां मातृभूमि के लिए बेघर।
ऐसे देशभक्तों की चीखें,चीर गई वो आसमां,
आवाज़ उन सभी देशभक्तों की हमें सुनाई नहीं देती।

आज लहराकर तिरंगा करते है हम अभिवादन,
उसी तिरंगे की छांव में खिल रहा है ये प्यारा चमन।
अब डर नहीं है हमें यहां किसी फिरंगियों का,
उसी फिरंगियों के जुल्मों की कहानी हमें याद नहीं आती।

पढ़कर वो इतिहास के पन्नें जगाओ तुम मन में देशभक्ति,
वही लहराता तिरंगा देखकर करो तुम नई क्रांति।
यही कह रही है,अपनी ये मातृभूमि सभी देशवासियों को,
सिर्फ आजादी का महोत्सव मनाकर नहीं होती प्रगति और उन्नति।

कोई मतलब नहीं,उनकी जयंती समारोह मनाने में,
कोई मतलब नहीं,युंही उनको याद करने में।
उनके दिखाए गए सभी रास्ते विरान पड़े हैं यहां,
इतने बदले है लोग यहां,जिन्हें ज़रा भी शर्म हया नहीं आती।

धन के सिवा कोई और उद्देश नहीं है सबका यहां,
अब ढूंढकर भी नहीं मिलेगा कल का वो प्यारा जहां।
वही भूमि है,वही आसमां है आज भी कल का यहां पर,
फिर भी इस सारे संसार को,कोई क्रांति याद नहीं आती।

लहू की बहती नदियां हमें याद नहीं आती,
शहिदों के बलिदानों की कुर्बानी हमें याद नहीं आती।
"सत्य मेव जयते"की यही है प्रगति और नई उन्नति,
लहराते तिरंगे की छांव में भी हमें आज़ादी की लड़ाई याद नहीं आती।

वो इतिहास के पन्ने सिर्फ पढ़ने के लिए रखें नहीं है यहां पर,
उसी पन्नों पन्नों पर शहिदों की कुर्बानी हमें नज़र आती है।
भूलो मत कभी उनके लहू का कतरा-कतरा मेरे देशवासियों,
उन्हीं शहिदों के लहू से ही यहां पर इसी लहराते तिरंगे का जन्म हुआ है।

प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.

      महाराष्ट्र
      ******

Friday, 24 February 2023

दशहरा - पदमा तिवारी दमोह

 
























विषय दशहरा

आज दिवस पावन आया
मिलजुल कर सब बांटो प्यार।
राम रावण की युद्ध में
असत्य पर सत्य की विजय  अपार।।

काम क्रोध होते दुश्मन
रावण का मान घटाया।
दशानन की अहंकार ने
वंश का है नाश कराया।।

मानव के भीतर का दुर्गुण
सारी अच्छाई मिटा देता।
काम क्रोध की लोलुपता
पापों को बढ़ावा देता।।

दशहरे के पुनीत पर्व पर
बुराई पर अच्छाई का जश्न मनाते हैं।
रावण के पुतले का दहन कर
आज उत्सव सभी मनाते हैं।।


शिक्षा मिलती है हमको
बुरी सीख है खोटा कर्म।
शिक्षक का क्या जाएगा
जाता है  खुद का धर्म।।

पदमा तिवारी दमोह मध्य प्रदेश

राम - दिलीप कुमार शर्मा दीप

 



राम...

राम एक आस्था एक संबल एक विश्वास है,
सबके हृदय में राम का निवास है।
राम भवसागर की कश्ती,
त्रिलोकी की हस्ती,
भक्तों के आनंद की मस्ती,
शबरी की भक्ति।

दशरथ कौशल्या के पुत्र,
जनक नंदिनी के पति ।
लक्ष्मण के भ्राता ,
अयोध्या के भूपति।

राम अहिल्या का विश्वास,
हनुमान की भक्ति की आस।
जामवंत के लिए शिष्ट,
विभीषण के लिए विशिष्ट।

सुग्रीव के लिए मित्र,
सुमिरन के लिए पवित्र l
माताओं के लाल,
राक्षसों के लिए काल ।

गुरु के लिए शिष्य,
अयोध्या का भविष्य।
देवताओं के लिए गान,
भारतीय संस्कृति का सम्मान।

जीवन का आदर्श,
ज्ञानियों का विमर्श।
बनाता सबका काम ,
ऐसा एक नाम राम ।

दिलीप कुमार शर्मा दीप
मध्य प्रदेश 

दशहरा - गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

 
























सारा सच मीडिया

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य साप्ताहिक प्रतियोगिता
                       (हमारीवाणी)

विषय -  दशहरा

विधा - गीत
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शीर्षक - अवगुणों पर सद्गुणों की जीत का प्रतीक है दशहरा
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अवगुणों पर सद्गुणों की, जीत का प्रतीक है दशहरा।
हम भी अवगुण अपने मिटाकर, आवो मनाये दशहरा।।
अवगुणों पर सद्गुणों की--------------------।।

पहला अवगुण पाप है, मन को पापी नहीं बनाओ।
दूजा अवगुण घमंड है, मन में घमंड को नहीं बसाओ।।
तृतीय अवगुण झूठ है, सच्चाई की है जीत दशहरा।
अवगुणों पर सद्गुणों की---------------------।।

चौथा अवगुण जुल्म है, निर्दोषों पर नहीं जुल्म करो।
पाँचवां अवगुण है कपट,मन से कपट को खत्म करो।।
छठा अवगुण अन्याय है, और न्याय की है जीत दशहरा।
अवगुणों पर सद्गुणों की---------------------।।

सातवां अवगुण है लोभ, दूर रहो लोभ से हमेशा।
आठवां अवगुण वहम है, दूर रहो वहम से हमेशा।।
अधर्म है नवां अवगुण, और धर्म की है जीत दशहरा।
अवगुणों पर सद्गुणों की-------------------।।

दसवां अवगुण है नफरत,  प्रेम- मानवता भूले नहीं।
अखण्ड हो भाईचारा देश में, फर्ज हम यह भूले नहीं।।
ये अवगुण ही रावण है, और रावण की है हार दशहरा।
अवगुणों पर सद्गुणों की--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

नवरात्रि का त्योहार - अश्मजा प्रियादार्शिनी


 


नवरात्रि का त्योहार
शैलपुत्री,  ब्रह्मचारिणी,  चन्द्रघंटा तूँ,माँ तूहीं ललिता का अवतार।
कुष्मांडा, स्कंदमाता,  कात्यायनी तूँ, माँ तूहीं शक्ति का अवतार।
कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री,तेरी कृपा से सपने होते साकार।
माँ तू कल्याणकारी, भवतारिणी नव जगदम्बे तेरी महिमा अपरम्पार 
हिन्दू  संस्कृति के पर्वों में अनुपम है प्यारा नवरात्रि का व्रत  त्योहार ।
गले पुष्पों ,पारिजात की माला शोभे ,छाए अनुपम अद्भुत निखार ।
विविध आभूषणों, कुमकुम चंन्दन, सिन्दूर से होता तेरा भव्य श्रृंगार।
हर्षित पुलकित नयनो में तेरे भक्तों के लिए असीम प्यार-दुलार ।
अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता  जगतजननी तेरी महिमा अपरम्पार ।
हिन्दू संस्कृति के पर्वों में अनुपम है प्यरा नवरात्रि का व्रत त्योहार ।
सिन्दूर से होती सुहागनों की होली बरसता जैसे रंगों की फुहार ।
मधुरम मस्त बहती अरूणिमा सी नवरात्रि की रमणीय बयार ।
सप्तशती मंत्रों से सुशोभित मंगलाचार करता संपूर्ण संसार ।
अश्विन, चैत्र महिनें में मनता ऐसा पावन व्रत व अद्वितीय त्योहार ।
नन्ही बच्चियाँ होती  जैसे वो देवी सत्यानंदस्वरूपिणी का अवतार।
शीष नवाते पुष्प चढाते चरणों में , करते देवी का  सोलह श्रृंगार ।
हलवा ,पूरी ,चना ,फलों  का भोग लगाते ,भक्तो सा निभाते किरदार।
ऊँच-नीच का भेद मिटाते ऐसा अनुपम सांस्कृतिक हिंदू परिवार ।
हिन्दू संस्कृति के  पर्वो में अनुपम है प्यारा नवरात्रि का व्रत त्योहार ।
कील,कवच,अर्गला,देवी सुक्तम,नवार्ण विधि से होता मंत्रोंचार ।
दुर्गा सप्तशती अद्भुत रहस्यमयी ऐसा है पावन पवित्र व्रत त्योहार ।
नवनिधि की दात्री माता अष्ट सिद्धि प्रदाता, तूहीं भक्ति का आधार ।
जय माता दी के गूँज से प्रतिध्वनित माँ तेरी होती जय जयकार ।
हिन्दू संस्कृति के पर्वो में अनुपम है प्यारा नवरात्रि का व्रत त्योहार ।

               रचनाकार: अश्मजा प्रियादार्शिनी
                                 पटना, बिहार

अयोध्या - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'











 *अयोध्या*


मनु जी ने एक नगर बसाया, दिया अयोध्या नाम
सूयवंश अरु रघुवंश के, 
हुए यहाँ राजा महान 

सरयू नदी के तट पर स्थित, पर्यटकों को लुभाता है 
सात मोक्षदायिनी पवित्र पुरियों में अयोध्या का नाम प्रथम आता है 

रामायण और राम चरित मानस, दो ग्रंथों की रचना
बाल्मीकि जी और तुलसी दास जी ने किया
दुनिया के कोने कोने में अयोध्या  मशहूर हुआ 

अयोध्या अर्थात अ-युद्ध, जो युद्ध के द्वारा जीता नहीं जाता  
कोशल, साकेत, अवध आदि नामों से है जाना जाता  

कहते हैं अयोध्या विष्णु जी के सुदर्शन चक्र पर टिका है
अथर्व वेद ने अयोध्या को ईश्वर
का नगर कहा है  

अयोध्या में पुरुषोत्तम राम ने जन्म लिया, बचपन में कई
खेल किये
वचन पालन करने हेतु राज छोड़ वन गए 

अयोध्यावासियों के भाग्य का क्या कहना
जिसने देखा राम का  बाल सुलभ क्रीड़ा करना 

अयोध्या आज प्रसिद्ध है अपनी संस्कृति के कारण
लोग राम जी से दुख कहते, दशरथ नंदन करते निवारण 

अयोध्या का काग भी कितना भाग्यशाली था,
जिसने हरि हाथ से रोटी का टुकड़ा लिया था 

पावन है यहाँ की माटी, हवा में उर्जा का संचार
अयोध्या में जो प्राण त्यागता, 
आता नहीं फिर वह संसार 

दीपावली में दीपोत्सव पर इस बार इतिहास रचा जायेगा
सोलह लाख दीपों से अयोध्या जगमगाएगा 


डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'

वेस्ट बंगाल