बाढ़
यह नदी के जल का फैलाव है,
अक्सर सैलाब के नाम से,
बड़ी शिद्दत से जाना पहचाना जाता है।
तबाही और बर्बादी करते हुए,
जनजन तक दुखदाई सन्देश को,
पहुंचाने के लिए खड़ा हो जाता है।
यह विभीषिका और आपदा के रूप में,
सारी दुनिया में जाना जाता है।
तबाही और बर्बादी करते हुए,
जनजन तक कष्ट का भार देकर,
मुश्किल हालात को ख़ुद बनाता है।
सारा सच का अद्भुत त्याग,
एक खूबसूरत अन्दाज में दिया गया उपहार है।
बाढ़ और उसके प्रभाव से रूबरू कराने का,
यह कविता प्रतियोगिता एक,
सुन्दर व सुसंकृत संस्कार है।
प्राकृतिक और मानव निर्मित कारणों का,
बेमिसाल व अनूठी संयोजन है।
यहां तकलीफें बेइंतहा मोहब्बत को,
दूर करने का दिखता प्रयोजन है।
अत्यधिक जल प्रवाह ही बाढ़ की शोभा है,
दुनिया को बर्बाद करने वाली,
कुरूप चेहरा लिए काली मानसिकता वाली,
दिखता तबाही से श्रृंगारित प्रभा है।
अत्यधिक वारिश अथवा हिमपात,
इसके महत्वपूर्ण व सटीक कारण हैं।
स्पष्ट और सतरंगी तरीके से ही,
हो सकता इसका सही सही निवारण है।
यह पशुधन और वनस्पति संग,
जन जन तक को प्रभावित कर,
दुनिया में तकलीफ़ का दौर लाता है।
सुकून और खुशियां से,
जहां को बेदखल कर सब खुशियां,
एक क्षण में छिनकर लें जाता है।
पेड़ लगाओ आन्दोलन और तटबंधों का निर्माण,
एक पारदर्शी तरीके से बाढ़ को रोकने का,
खूबसूरत प्रयास किया जाएं।
जल निकासी प्रबंधन और जलाशयों के निर्माण में,
अत्यधिक ध्यान दिया जाएं।
सारा सच आज़ यहां एक सार्थक युद्ध,
मजबूती से जोश के साथ लड़ रहा है।
बाढ़ की दमदार आहट को कमजोर,
दिल और दिमाग से यहां कर रहा है।
डॉ ०अशोक,पटना,बिहार